शिक्षा विभाग ने आवश्यक दस्तावेजों की सूची और जरूरी निर्देश जारी, कमी होने पर आवेदन अमान्य
हरियाणा विद्यालय शिक्षा विभाग ने गृह निर्माण, मरम्मत और बढ़ोतरी ऋण (एचबीए) मामलों की मंजूरी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब तक ऋण मंजूरी का अधिकार जिला स्तर पर आहरण एवं वितरण अधिकारी (डीडीओ) के पास था। दस्तावेजों की कमी और बार-बार सामने आ रही अनियमितताओं के चलते विभाग ने अब यह अधिकार डीडीओ से वापस ले लिया है। अब ऐसे सभी मामलों में अंतिम मंजूरी अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) शिक्षा विभाग देंगे।
नई व्यवस्था 26 सितंबर 2025 से लागू हो गई है। अब सभी जिला शिक्षा अधिकारी केवल पूर्ण दस्तावेजों वाली फाइलें निदेशालय को भेजेंगे और अंतिम मंजूरी एसीएस स्तर से मिलेगी।
आवश्यक दस्तावेजों की सूची के साथ हरियाणा माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी किया गया है। अब तक डीडीओ की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रिंसिपल, स्कूल मुखिया या वरिष्ठ शिक्षक ऋण स्वीकृति की प्रक्रिया पूरी करते थे।
शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को सेवा नियमों के तहत गृह निर्माण, मरम्मत या बढ़ोतरी के लिए अग्रिम ऋण लेने का अधिकार है। ऋण की राशि कर्मचारी के मूल वेतन, सेवा अवधि और कार्य की प्रकृति पर निर्भर करती है।
नया मकान बनाने के लिए बेसिक वेतन का 34 गुना या 25 लाख तक (जो भी कम हो), मरम्मत या बढ़ोतरी के लिए बेसिक वेतन का 10 गुना या 2 लाख तक और प्लॉट खरीदने के लिए नियमों के अनुसार तय सीमा तक अग्रिम राशि ऋण के रूप में ली जा सकती है।
नियमित सेवा पर तैनात राज्य के सरकारी शिक्षक और शैक्षिक कर्मचारी इस ऋण योजना का लाभ उठा सकते हैं।
यह है आवेदन प्रक्रिया
कर्मचारी को विभाग द्वारा जारी चेकलिस्ट के अनुसार दस्तावेज लगाने होंगे। इनमें निर्धारित आवेदन पत्र, डीडीओ से प्रमाणित स्वीकृति, लंबित शिकायत/जांच न होने का प्रमाणपत्र, शपथ पत्र, पे-स्लिप, जीपीएफ/पीआरएएन नंबर, नक्शा और अनुमान विवरण, मोर्टगेज डीड, पहले लिए गए ऋण का ब्याेरा, दो स्थायी कर्मचारियों से सत्यापित श्योरिटी बॉन्ड और गवाह कर्मचारियों के पहचान पत्र शामिल हैं।
विभाग ने साफ किया है कि अगर एक भी दस्तावेज अधूरा हुआ तो आवेदन सीधे अमान्य हो जाएगा। प्रदेशभर में कुल 14,273 सरकारी स्कूल हैं। इनमें 99,666 शिक्षक कार्यरत हैं जिनमें 80,640 नियमित व 11,916 अतिथि और 7,110 हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एचकेआरएन) से जुड़े शिक्षक शामिल हैं। प्राथमिक स्तर पर 8,185 विद्यालयों में 25,762 शिक्षक कार्यरत हैं।
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